आखिर क्यों कहना पड़ा एक पत्रकार को मंत्री जी मैं फांसी लगा लूंगा!

आखिर क्यों कहना पड़ा एक पत्रकार को मंत्री जी मैं फांसी लगा लूंगा!

राकेश सिंह गोण्डा 

जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान,प्रशासन के कार्यप्रणाली पर लग रहा सवालिया निशान।

 

गोंडा। जिले में पहुंचे श्रम एवं सेवायोजन मंत्री को प्रार्थना पत्र देकर एक पत्रकार ने सबको चौंका दिया। पत्रकार ने कहा 3 दिनों से मैं पीड़ित हूं। मेरी जमीन पर कब्जा हो रहा है। पूरा मामला जानकर आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे। आखिर पूरा माजरा क्या है। एक पत्रकार के बैनामा की जमीन पर तीन दिनों से जबरन निर्माण हो रहा है। पत्रकार अधिकारियों के पास निर्माण रुकवाने के लिए अपनी फरियाद लगा रहा है। लेकिन किसी भी जिम्मेदार ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। जनता की आवाज बनने वाले पत्रकार खुद न्याय की भीख मांगने लगे है। प्रशासन पत्रकार की बातों को नजर अंदाज करता रहा। 

ऐसा ही एक मामला गोंडा में सामने आया है। एक चैनल के पत्रकार ने 1983 में एक जमीन अपने माता के नाम बैनामा लिया था। जिसकी चौड़ाई 39 फुट है। यह जमीन 4 बिस्वा है। इसमें प्रार्थी ने 32 फुट चौड़ाई पर अपने मकान का निर्माण करा लिया था। तथा बगल में 7 फुट प्रार्थी ने मकान मरम्मत अन्य कारणों से छोड़ दिया। अब जमीन पर कुछ लोग जबरन कब्जा करना चाह रहे हैं। मकान के पूरब तरफ स्थित 7 फीट चौड़ा एक बिस्वा जमीन जबरन कब्जा चाहते हैं।

 

बैनामा की जमीन को फर्जी तरीके से दोबारा कराया बैनामा

गोंडा में फर्जी तरीके से जमीन बैनामा वसीयत सहित तमाम तरह के मामलों की बाढ़ सी आ गई है। पीड़ित पत्रकार के बैनामा की जमीन के मामले में आरोप है कि कूटरचित तरीके से दोबारा बैनामा करा लिया गया। उसी फर्जी बैनामा के आधार पर पत्रकार की जमीन को कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि यह मामला दीवानी न्यायालय में भी विचाराधीन है।

 

पीड़ित ने तहसील प्रशासन से लेकर नगर मजिस्ट्रेट तक लगाई गुहार।

 

पीड़ित पत्रकार प्रार्थना पत्र लेकर संबंधित अधिकारियों से फरियाद लगाता रहा। मामला विनियमित क्षेत्र का होने के कारण नगर मजिस्ट्रेट से भी पत्रकार ने फरियाद लगाई। नगर मजिस्ट्रेट ने कोई कार्रवाई नहीं किया। बल्कि उल्टे पत्रकार से यह कहकर उसे निराश कर दिया कि तुम्हारी वहां पर अब कोई जमीन नहीं है। यहां तक की उसके प्रपत्र और प्रार्थना पत्र के आधार पर मामले की जांच करना भी मुनासिब नहीं समझा। जिससे प्रशासन के कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे हैं। पत्रकार ने अधिकारियों से इतना तक दावा किया कि उसकी शिकायत का निष्पक्षता से जांच करा ली जाए। यह शिकायत फर्जी पाई जाती है। तो उसे जेल भेज दिया जाए।

 

प्रभारी मंत्री से लगाई गुहार तब जाकर रुका काम।

 

जिला योजना की बैठक में भाग लेने आए जिले के प्रभारी मंत्री अनिल राजभर को पत्रकार ने पूरे मामले की जानकारी दिया। मंत्री को अपना दर्द बताते हुए पत्रकार ने कहा कि पिछले तीन-चार दिनों से न्याय के लिए दौड़ रहा हूं। प्रशासन मेरी कोई बात नहीं सुन रहा है। जमीन पर जबरन निर्माण कराया जा रहा है। प्रशासन के अधिकारियों ने इस अवैध निर्माण को रुकवाने की भी जहमत नहीं उठाई। श्रम सेवायोजन मंत्री से पत्रकार ने कहा यह यदि उसकी जमीन पर जबरन कब्जा हो गया तो वह फांसी लगा लेगा। हालांकि मंत्री से शिकायत के बाद तत्काल विवादित जमीन पर काम रुकवा दिया गया।

इस पूरे प्रकरण पर नगर मजिस्ट्रेट को फोन किया गया लेकिन उनका फोन न मिलने के कारण प्रशासन का पक्ष नहीं जाना जा सका।

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