आजमगढ़ :- सुहेलदेव विश्वविद्यालय के नवागत कुलपति के स्वागत में आए विवादित चेहरे, खुसफुसाहट का बाजार गर्म

आजमगढ़ :- सुहेलदेव विश्वविद्यालय के नवागत कुलपति के स्वागत में आए विवादित चेहरे, खुसफुसाहट का बाजार गर्म

आजमगढ़::महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय के नवागत कुलपति के स्वागत में तेजी से उठे सवाल, चर्चाओं का बाजार गर्म......

उपेन्द्र कुमार पांडेय 

 

आजमगढ़। महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय के नवागत कुलपति संजीव कुमार का निलंबित विद्युत कर्मचारी धीरज समेत अन्य आधा दर्जन कर्मियों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर कुलपति को बधाई देने और उनकी नई भूमिका के लिए शुभकामनाएं देने वालों की भीड़ थी। लेकिन, इस स्वागत समारोह में शामिल विवादित चेहरों ने नई चर्चाओं को जन्म दिया है।

 

महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय में शिक्षकों की बड़ी संख्या में भर्ती प्रक्रिया जारी है। इसके लिए आवेदन पहले ही लिए जा चुके हैं। इस प्रक्रिया में पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कई अधिकारी और कर्मचारी अपने परिवार के सदस्यों के लिए प्रयासरत बताए जा रहे हैं। ऐसे में विवादित कर्मचारियों और अधिकारियों का कुलपति से मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है। क्या यह केवल शिष्टाचार था, या फिर इसमें भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित करने की मंशा छिपी है।

 

जनता की सोच

 

ऐसे व्यक्तियों का कुलपति का स्वागत करना जिनका निलंबन या विवादित रिकॉर्ड सार्वजनिक है, विश्वविद्यालय के वातावरण और कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यह घटना समाज में यह सवाल खड़ा करती है कि क्या विवादित छवि वाले लोग संस्थानों के भविष्य निर्माण में सही भूमिका निभा सकते हैं? क्या यह स्वागत मात्र औपचारिकता थी, या फिर यह विश्वविद्यालय प्रशासन को प्रभावित करने का प्रयास था?

 

जनता का नजरिया और संदेश

 

समाज में यह धारणा बनती है कि जब किसी नई जिम्मेदारी संभालने वाले व्यक्ति का स्वागत नकारात्मक छवि वाले लोग करते हैं, तो यह घटना उस व्यक्ति की छवि को भी प्रभावित करती है।

 

आम लोगों के लिए यह संदेश जाता है कि ऐसी मुलाकातें केवल व्यक्तिगत हित साधने के लिए होती हैं। इससे विश्वविद्यालय की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठने लगते हैं। ऐसे समय में जब उच्च शिक्षा संस्थानों को निष्पक्षता और पारदर्शिता की आवश्यकता है, विवादित चेहरों की मौजूदगी विश्वास को कमजोर कर सकती है। विश्वविद्यालय प्रशासन और कुलपति संजीव कुमार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी नेतृत्व क्षमता और निर्णय लेने की प्रक्रिया पारदर्शी और पक्षपात से मुक्त हो। केवल ऐसा कदम ही विश्वविद्यालय की गरिमा और समाज में उसकी विश्वसनीयता बनाए रख सकता है। इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि उच्च शिक्षा के संस्थानों में न केवल योग्य नेतृत्व की जरूरत है, बल्कि उनके आसपास ऐसे व्यक्तित्वों का होना भी आवश्यक है जो संस्थान के हित में काम करें। नकारात्मक छवि वाले व्यक्तियों के प्रभाव को नियंत्रित करना विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।

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