बृज की अनोखी परंपरा: गुलाल भूलिए, अब छा गई गोबर की होली: देसी अंदाज में मची धूम!

बृज की अनोखी परंपरा: गुलाल भूलिए, अब छा गई गोबर की होली: देसी अंदाज में मची धूम!

होली का त्योहार हर साल अपने रंग-बिरंगे अंदाज के लिए मशहूर होता है, लेकिन इस बार उत्तर भारत के कुछ इलाकों में 'गोबर की होली' का देसी रंग खूब देखने को मिला। जहां एक तरफ लोग गुलाल और रंगों से होली खेलते नजर आए, वहीं दूसरी ओर कुछ जगहों पर लोगों ने गोबर की होली खेलकर परंपरा को खास अंदाज में जिंदा रखा।

क्या है गोबर की होली?

गोबर की होली एक खास परंपरा है, जो विशेष रूप से बरसाना, नंदगांव और मथुरा जैसे क्षेत्रों में खेली जाती है। इस होली में लोग गाय के गोबर के उपले (गोइठा) बनाते हैं और उन्हीं से एक-दूसरे पर गोबर फेंककर मस्ती करते हैं। इसे शुभ और पवित्र माना जाता है क्योंकि गाय के गोबर को हिन्दू धर्म में पवित्रता का प्रतीक माना गया है।

गोबर होली की धूम

इस बार मथुरा के गोकुल में आयोजित गोबर होली में सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचे। लोग सिर से लेकर पांव तक गोबर में लिपटे नजर आए और मस्ती में झूमते हुए बोले,

"भाई, ये तो सबसे बढ़िया ब्यूटी ट्रीटमेंट है!"

स्थानीय लोगों का मानना है कि गाय का गोबर त्वचा के लिए फायदेमंद होता है और इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जिससे त्वचा में चमक आती है।

श्रद्धा और विश्वास का अनोखा संगम

गोबर की होली केवल मस्ती का ही हिस्सा नहीं है, बल्कि इसे धार्मिक महत्व भी प्राप्त है। मान्यता है कि गोबर की होली खेलने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

देसी अंदाज का खास आकर्षण

इस देसी होली में लोग पारंपरिक गीतों पर नाचते-गाते दिखाई दिए। ढोल-नगाड़ों की थाप पर गांव के लोग खूब मस्ती करते नजर आए। विदेशी सैलानी भी इस अनोखी होली का हिस्सा बने और गोबर के रंग में रंगकर जमकर झूमे।

निष्कर्ष

गोबर की होली ने इस बार होली के रंगों में एक नया आयाम जोड़ दिया है। यह परंपरा जहां धार्मिक आस्था को दर्शाती है, वहीं इसकी मस्ती भरी शैली देसी अंदाज में अपनाई जाती है।

 

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