आगरा में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी: शराब की 30% दुकानों के लाइसेंस महिलाओं के नाम

आगरा में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी: शराब की 30% दुकानों के लाइसेंस महिलाओं के नाम

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में इस वर्ष शराब की दुकानों के लाइसेंस आवंटन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखा गया है। कुल 652 शराब की दुकानों में से 199 दुकानों के लाइसेंस महिलाओं के नाम पर जारी किए गए हैं, जो कुल दुकानों का लगभग 30% है। ये नए लाइसेंस 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे। 

महिलाओं की बढ़ती भागीदारी:

आबकारी विभाग के अनुसार, इस वर्ष शराब की दुकानों के लाइसेंस के लिए आवेदन प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। महिलाओं द्वारा लाइसेंस प्राप्त करने की इस प्रवृत्ति से समाज में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिल रहा है, साथ ही व्यवसायिक क्षेत्र में उनकी सक्रियता भी प्रदर्शित हो रही है।

लाइसेंस आवंटन प्रक्रिया:

उत्तर प्रदेश में शराब की दुकानों के लाइसेंस आवंटन के लिए ऑनलाइन लॉटरी प्रणाली अपनाई गई है, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होती है। इस प्रणाली के माध्यम से आवेदकों को लाइसेंस शुल्क जमा करने और आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। लॉटरी प्रक्रिया के पहले दौर में राज्यभर में 27,308 दुकानों में से 26,994 दुकानों का आवंटन हो चुका है, जबकि शेष दुकानों के लिए दूसरा दौर आयोजित किया जाएगा।

महिलाओं के नाम पर लाइसेंस के प्रभाव:

महिलाओं के नाम पर शराब की दुकानों के लाइसेंस जारी होने से समाज में लिंग समानता को प्रोत्साहन मिलता है। यह कदम महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा, यह समाज में महिलाओं की भूमिका के प्रति दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक हो सकता है।

उदाहरण:

गाजियाबाद की कल्पना अग्रवाल ने 2020 में एक मॉडल शराब की दुकान खोली थी, जिसे स्थानीय लोग "शराब की रानी" के नाम से जानते हैं। उनका यह कदम महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जो इस क्षेत्र में कदम रखने की सोच रही हैं।

निष्कर्ष:

आगरा में शराब की दुकानों के लाइसेंस में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी समाज में समानता और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परिवर्तन न केवल महिलाओं को नए अवसर प्रदान करता है, बल्कि समाज में उनकी भूमिका को भी पुनर्परिभाषित करता है। आशा है कि इस पहल से अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा।

 

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